Saturday, November 19, 2016

उर्वशी शर्मा ने UP CIC जावेद उस्मानी पर लगाया भ्रष्टाचार करने का आरोप




लखनऊ/19 नवम्बर 2016 

उत्तर प्रदेश के राज्य सूचना आयोग के नए भवन का उद्घाटन देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी द्वारा बीते 11 जुलाई को किया गया था. उद्घाटन समारोह में सूबे के राज्यपाल राम नाइक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अमरेश्वर प्रताप शाही भी शामिल हुए थे. उद्घाटन हुए अभी 4 महीने ही बीते हैं और लखनऊ के गोमतीनगर स्थित ‘आरटीआई भवन’ में लगे स्टील से बने फर्नीचर में जंग लगनी शुरू हो गयी है. लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने देश के उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी के साथ साथ सूबे के राज्यपाल राम नाइक, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  को स्टील की बेंचों में लगे जंग के फोटो और वीडियो भेजते हुए सूचना आयोग के नवीन भवन में लगे फिक्सचर्स, फर्नीचर, उपकरण, फाल्स सीलिंग आदि की खरीद में भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच कराकर दोषियों के खिलाफ ऍफ़.आई.आर. लिखाने और जनता के पैसे की वसूली करने की मांग कर डाली है. शिकायती पत्र की प्रति सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व में मुख्य सचिव रहे जावेद उस्मानी को भी भेजी गयी है.



उर्वशी ने बताया कि सूचना आयोग के इस नवीन भवन पर जनता के टैक्स के पैसों में से 25 करोड़ से अधिक रुपये खर्च हुए थे लेकिन 4 महीनों के अन्दर ही स्टील के फर्नीचर में जंग आ जाने और जगह-जगह से इसका पेंट छूटने से यह अपने आप ही सिद्ध हो रहा है कि जनता को सुविधायें देने के नाम पर बनाए गए सूचना आयोग के नए भवन को बनाने में भ्रष्टाचार द्वारा जमकर पैसों की बंदरबांट की गयी है. उर्वशी ने बताया कि सूचना आयोग ने नवीन भवन के निर्माण और इसे चालू करने के लिए की गयी सभी खरीदों की गुणवत्ता के लिए सीआइसी जावेद उस्मानी सीधे-सीधे जिम्मेवार थे. उस्मानी को केंद्र की पूर्व मनमोहन सरकार के समय के बहुचर्चित कोयला घोटाले का दागी बताते हुए उर्वशी ने सूबे के मुख्य सूचना आयुक्त और पूर्व में मुख्य सचिव रहे जावेद उस्मानी पर इस खरीद घोटाले के भ्रष्टाचार में प्रत्यक्ष रूप से शामिल रहने का आरोप भी लगाया है.



बकौल उर्वशी केवल 4 महीने में नए स्टील फर्नीचर में जंग आने और इसका पेंट हटने से स्पष्ट है कि इस फर्नीचर की खरीदारी करते समय  गुणवत्ता से समझौता किया गया था. जंग लगी बेंचों पर बैठने से सूचना आयोग आने वाले व्यक्तियों के स्वास्थ्य के लिए खतरा बताते हुए इस समाजसेविका ने इसे एक अत्यंत गंभीर मुद्दा बताया है. 


उर्वशी ने अपने पत्र में जंग लगी बेंचों के एक यू ट्यूब वीडियो का लिंक  देने के साथ-साथ जंग लगी बेंचों के 3 फोटो भी भेजे है.   उर्वशी ने बताया कि कुछ ऐसी ही खराब स्थिति ‘आरटीआई भवन’ में लगे अन्य फिक्सचर्स, फर्नीचर, उपकरण, फाल्स सीलिंग आदि की है.


पत्र में उर्वशी ने देश के उपराष्ट्रपति,सूबे के राज्यपाल ,मुख्यमंत्री और उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश  को लिखा है कि 4 माह पहले ही इस ईमारत में वे सब सम्मिलित रहे थे अतः यह इन सबका नैतिक दायित्व है कि वे किसी स्वतंत्र जांच एजेंसी से इस मामले की जांच कराकर दोषियों के खिलाफ ऍफ़.आई.आर. लिखवायें और घोटालेबाजों से जनता के पैसे की वसूली भी करवाएं और इस मामले में एक त्वरित और सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद की है।




उर्वशी ने सीआइसी जावेद उस्मानी पर एक और आरोप लगाते हुए कहा कि उनके ( उर्वशी के ) द्वारा बीते 11 जुलाई को उद्घाटन समारोह में आये उपराष्ट्रपति को उस्मानी के इस भ्रष्टाचार से अवगत कराने जाने के डर के चलते ही उस्मानी ने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए थाना विभूतिखंड की पुलिस के माध्यम से 10 जुलाई की रात में उनको ( उर्वशी को ) अवैध हिरासत में भिजवा दिया था और उनको ( उर्वशी को ) उपराष्ट्रपति के द्वारा लखनऊ छोड़ देने के बाद ही 11 जुलाई को देर शाम रिहा किया गया.


उर्वशी के द्वारा भेजे गए पत्र और जंग लगी बेंचों के फोटो देखने के लिए नीचे दिए वेबलिंक्स को क्लिक करें :



Saturday, November 12, 2016

UP : IAS दागियों को प्रमुख सचिव पदों से हटाने और सभी तैनातियां 360 डिग्री प्रोफाइलिंग के आधार पर करने की समाजसेविका उर्वशी शर्मा की मांग




 
 
  
लखनऊ/12-11-16/ Written by Socio Political Newsdesk
यूपी की सत्ताधारी समाजवादी पार्टी में मचे घमासान की अब तक की लड़ाई में अखिलेश यादव विजयी बनकर उभरे हैं. अखिलेश सूबे की जनता को यह सन्देश देने में सफल रहे हैं कि वे यूपी में अब तक चल रही अन्य सभी सामानांतर सत्ताओं को धराशाही कर सूबे के इकलौते सीएम के रूप में स्थापित हो चुके हैं. अखिलेश ने यह भी स्थापित कर दिया है कि वे अब बिना किसी दबाब के अपने स्वतंत्र निर्णय लेने के लिए समर्थ हो गए है. अब तक अखिलेश एक ईमानदार राजनेता की अपनी छवि को कायम रखने में कामयाब रहे है.पिछले दिनों अखिलेश ने अपनी मंत्रिपरिषद से भ्रष्टाचार के आरोपी मंत्रियों को हटाकर सूबे की जनता को भ्रष्टाचार पर कड़ा रुख अपनाने का सन्देश देने की कोशिश की है पर बड़ा सबाल यह है कि क्या अखिलेश बाकई अपनी सरकार को भ्रष्टाचार मुक्त करने के प्रति गंभीर हैं या अखिलेश का अपने मंत्रियों को हटाना एक पारिवारिक और राजनैतिक ड्रामा भर था? अब यह सबाल उठाया है लखनऊ की समाजसेविका और आरटीआई कार्यकत्री उर्वशी शर्मा ने जिन्होंने अखिलेश यादव पर यूपी कैडर के 1983 बैच के 5 ऐसे आई.ए.एस. अधिकारियों को महत्वपूर्ण विभागों के प्रमुख सचिवों के पदों पर बैठाए रखने का आरोप लगाया है जिनको केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने विगत जुलाई माह में दागी घोषित करते हुए इन सभी का केंद्र सरकार के  सचिव और इसके समकक्ष पदों पर नाभिकायन करने से इनकार कर दिया था.

उर्वशी ने में बताया कि वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केंद्र में उच्च और महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती के लिए अधिकारियों की स्क्रीनिंग के लिए '360 डिग्री प्रोफाइलिंग' की व्यवस्था लागू की है जिसके तहत किये गए परीक्षण के मूल्यांकन के बाद यूपी कैडर के 1983 बैच के दस अधिकारियों में से महज 3 ही सचिव या उसके समकक्ष पद के लिए योग्य पाए गए और बाकी 7 को दागी होने के कारण अनुत्तीर्ण घोषित किया गया.उर्वशी ने बताया कि केंद्र सरकार में सचिव और उसके समकक्ष पदों पर नियुक्तियों के लिए प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में कैबिनेट समिति ने देश भर के 1983 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारियों के पैनल की 360 डिग्री के मूल्यांकन मानदंड के तहत समीक्षा की थी. इस मूल्यांकन में वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट से परे जाकर सम्बंधित अधिकारी की सभी क्षेत्रों की छवि, प्रदर्शन,उसके वारे में वरिष्ठों और कनिष्ठों की प्रतिक्रिया, सीवीसी, सीबीआई से सीधी प्रतिक्रिया और खुफिया ब्यूरो की रिपोर्ट से मिली जानकारी की सभी कोणों समीक्षा कर अधिकारी की अखंडता के आधार पर प्रोन्नति निर्णय लिया गया. इस परिणाम को भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने बीते जुलाई की 18 तारिख को घोषित किया था. बकौल उर्वशी हाल के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि केंद्र सरकार ने यूपी कैडर के 70 प्रतिशत IAS अधिकारियों को अयोग्य घोषित किया हो.
TTo read full story, please  click the link http://socio-political-news.blogspot.in/2016/11/upias-360.html
भारत सरकार ने राहुल भटनागर और राजीव कपूर का सचिव पद के लिए और अरुण कुमार सिन्हा का सचिव के समकक्ष पद के लिए योग्य घोषित  किया है जबकि राजीव कुमार,चंचल कुमार तिवारी,सदाकांत शुक्ला,हरि राज किशोर,संजीव सरन,राज प्रताप सिंह और बीरेश कुमार के दागी इतिहास के चलते इन सातों को अयोग्य ठहराया है.वर्तमान में राजीव कुमार निलंबित चल रहे हैं और राज प्रताप सिंह राजस्व परिषद् के सदस्य के महत्वहीन पद पर कार्यरत हैं.



केंद्र द्वारा अयोग्य घोषित किये गए चंचल कुमार तिवारी को प्रमुख सचिव पंचायती राज , दागी सदाकांत शुक्ला को प्रमुख सचिव आवास एवं शहरी नियोजन g , हरि राज किशोर को प्रमुख सचिव सार्वजनिक उद्यम विभाग और D.G. सार्वजनिक उद्यम ब्यूरो, संजीव सरन को वन,पर्यावरण,वाह्य
सहायतित परियोजना,सूचना प्रौधोगिकी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे विभागों का प्रमुख सचिव और बीरेश कुमार को प्रमुख सचिव वाणिज्यकर और मनोरंजनकर बनाए रखने कर कड़ा ऐतराज जताते हुए उर्वशी ने अखिलेश को और सूबे के मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इन 5 दागी आई.ए.एस. अधिकारियों को प्रमुख सचिव जैसे महत्वपूर्ण पदों से तत्काल हटाने की मांग की है.



किसी विभाग के प्रमुख सचिव के पद को विभाग का सर्वोच्च पद बताते हुए उर्वशी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रमुख सचिव की उच्चतम स्थिति में एक दागी अधिकारी को रखना उस विभाग के दरवाजे उन्मुक्त भ्रष्टाचार द्वारा लूट के लिए खुला रखने के समान है और इस पत्र की प्रति भारत के राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,मुख्य न्यायाधीश के साथ-साथ यूपी के राज्यपाल और इलाहाबाद उच्च न्यायलय के मुख्य न्यायाधीश को भी भेजी है.




उत्तर प्रदेश में एक ईमानदार शासन व्यवस्था स्थापित करने के लिए यूपी में शीर्ष पदों पर दागी अफसरों का प्रवेश रोकने की आवश्यकता पर बल देते हुए उर्वशी ने इस पत्र के माध्यम से सूबे में तुरंत ही केंद्रीय सरकार की तरह की समग्र 360 डिग्री प्रोफाइलिंग व्यवस्था  लागू करने की मांग भी उठा दी है . 


To get the letter written by Social Activist Urvashi Sharma, Please click the link http://upcpri.blogspot.in/2016/11/request-to-immediately-remove-5-tainted.html

Tuesday, November 8, 2016

यूपी स्मॉग जनता के स्वास्थ्य का आपात काल : 24 घंटे में प्रभावी कार्यवाही की उर्वशी शर्मा की मांग





UP प्रदूषण  पर CM अखिलेश के निर्देश महज सरकारी खानापूर्ति : उर्वशी शर्मा

लखनऊ/08-11-16/
विगत कुछ दिनों से उत्तर प्रदेश की राजधानी जहरीली धुंध की चपेट में है और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टॉक्सिकोलॉजी रिसर्च, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, यूपी पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के वैज्ञानिकों ने यहाँ के निवासियों को घर से बाहर निकलने की सलाह दी है। शहर के अलग-अलग  इलाकों की जांच में जो नतीजे सामने आए हैं उनके अनुसार लखनऊ में प्रदूषण का स्तर मानक से आठ गुना तक ज्यादा पाया गया है   जहरीलीहवा के मामले में लखनऊ दिल्ली, फरीदाबाद और आगरा के बाद देश में चौथे पायदान पर गया है  
लखनऊ की समाजसेविका और सूचना का अधिकार बचाओ अभियान की संरक्षिका उर्वशी शर्मा ने  यूपी के स्मॉग पर राज्य सरकार को घेरते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं पर्यावरण मंत्री, मुख्य सचिव,/प्रमुख सचिव पर्यावरण विभाग, प्रमुख सचिव नगर विकास विभाग, उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय, निदेशक पर्यावरण, महापौर  लखनऊ,नगर आयुक्त लखनऊ और जिलाधिकारी लखनऊ को एक पत्र भेजा है और इसकी प्रतिलिपि  राष्ट्रपति ,  उप राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री , राज्यपाल उत्तर प्रदेश,  मुख्य न्यायाधीश  उच्चतम न्यायालय और , मुख्य न्यायाधीश उच्च न्यायालय इलाहाबाद को भी प्रेषित की है





स्मॉग के बाद उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और पर्यावरण विभाग को धुंध के लिए जिम्मेदार कारणों का शीघ्र पता लगाकर इनके निदान के उपाय करने के लिए दिए गए निर्देशों को महज सरकारी खानापूर्ति बताते हुए उर्वशी ने  प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदूषण बढाने के सामान्य कारकों जैसे अतिक्रमण हटाकर शहर को जाम से मुक्ति दिलाने, शहर के कूड़ाघरों में कूड़े को जलाया जाना तत्काल प्रतिबंधित करके इन कूड़ाघरों को आबादी से दूर अंतरित करने,कंस्ट्रक्शन/डेमोलेशन को बंद करने,लोगों को वर्क फ्रॉम होम करने ,स्कूल बंद करने ,डीजी सेट्स पर रोक लगाने, शहर में वाहनों का ऑड-इवन सिस्टम लागू करने,कृत्रिम बारिश कराने,राख पैदा करने वाले उपक्रमों पर पाबंदी लगाने,सड़कों पर पानी का छिड़काव करने,लखनऊ शहर में ट्रकों के घुसने पर पाबंदी लगाने के आदेश तत्काल जारी करने की मांग की है




बकौल उर्वशी दिल्ली में धुंध से होने वाले नुकसान को ध्यान में रखते हुए लखनऊ के लोगों में इस अप्रत्याशित धुंध के कारणों की वजह जानने के लिए बेचैनी है पर सरकार ने इस मुद्दे पर कोई भी प्रभावी कदम उठाकर लोगों को प्रदूषण से निजात दिलाने का कोई प्रयास नहीं किया है दिल्ली में एक्यूआई के 485 पर पहुंचने पर स्कूल बंद करने का फैसला ले लिया गया था परन्तु सूबे की सरकार और प्रशासन बच्चों के स्वास्थ्य से जुड़े इस गंभीर मुद्दे पर अब तक सोया पड़ा है




उर्वशी के अनुसार इस धुंध के लिए खेतों में जलाई जा रही फसल, गाडि़यों का पॉल्यूशन, जाम में फंसे वाहनों से निकलता धुंआ, शहर में जगह जगह आवादी के बीच स्थित कूड़ाघरों में जलाया जा रहा कूड़ा मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं। धुंध वहीं पर अधिक है जहां पर गाडि़यों की संख्या अधिक है जिससे स्पस्ट है कि गाडि़यों से निकल रहे धुएं के कारण पॉल्यूशन लेवल काफी अधिक बढ़ रहा है किन्तु लखनऊ में हर साल लगभग सवा लाख से अधिक वाहन सड़क पर बढ़ जाने के बाद भी  सरकार  अब तक सडकों पर गाड़ियों की संख्या को नियंत्रित करने और अतिक्रमण को हटाकर शहर को जाम से निजात दिलाने के प्रभावी उपाय नहीं कर पाई है यदि शहर में वाहनों की संख्या और जाम की समस्या इसी प्रकार बढ़ती रही तो शीघ्र ही आने वाले समय में लखनऊ में भी लोगों को मॉस्क लगाकर ही बाहर निकलना पड़ेगा





उर्वशी ने बताया कि उत्तर प्रदेश की सरकार ने कानून बनाकर फसलों का वेस्ट जलाने से रोकने को प्रतिषिद्ध किया है किन्तु फसल जलाने पर दंड दिए जाने की स्पष्ट व्यवस्था होने और शासन प्रशासन द्वारा प्रभावी मोनिटरिंग किये जाने के कारण खेतों में वेस्टेज का जलाना बदस्तूर जारी है पॉल्यूशन बढ़ जाने के बाद भी सरकार ने तो मास्क पहनकर ही बाहर निकलने के सम्बन्ध में कोई एडवाईजरी जारी की है और ही लखनऊ के लोगों को मास्क उपलब्ध कराने के कोई प्रयास किये है 1952 में लंदन में एसओटू के हाई लेवल से पैदा हुए स्मोग के कारण 4 हजार लोगों की मौत हो गई थी पर आज जब लगभग पूरा सूबा ही गंभीर प्रदूषण की चपेट में है, राज्य सरकार प्रदूषण की समस्या का स्थाई हल खोजने में विफल है  प्रदूषण से लखनऊ के लोगों की आयु भी घट रही है जिससे लखनऊ के निवासियों के जीवन के संवैधानिक अधिकार का हनन हो रहा है और सरकार लखनऊ के निवासियों के इस संवैधानिक अधिकार का संरक्षण करने में पूर्णतया असफल सिद्ध हो रही है




उर्वशी ने अपने पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड'  का प्रमुख दायित्व एवं कर्तव्य प्रदूषण निवारण, नियंत्रण या उसे कम करने के लिए सम्बद्ध विषयों पर जानकारी एकत्र कर राज्य सरकार को सलाह देने का है किन्तु सरकार द्वारा लखनऊ के हालिया प्रदूषण पर राज्य सरकार द्वारा कारणों की जांच कराये जाने से स्पष्ट है कि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड राज्य सरकार को समय पर सही सलाह देने में विफल है ।यद्यपि प्रदेश में प्रदूषण की रोकथाम के लिए लखनऊ स्थित मुख्यालय के अतिरिक्त 27 क्षेत्रीय कार्यालय हैं किन्तु प्रदेश के 71 जिलों में से मात्र 21 में ही वायु प्रदूषण की मानिटरिंग की जा रही है जिसे बढाए जाने की आवश्यकता है यही नहीं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की वेबसाइट के अनुसार दिल्ली से सटे नॉएडा में बीते फरवरी के बाद से प्रदूषण की जांच नहीं की गयी है यही नहीं नॉएडा में प्रदूषण की मोनिटरिंग के लिए मैनुअल सिस्टम है जिसकी बजह से प्रदूषण के आंकड़े आने तक वे अर्थहीन हो जाते हैं प्रदूषण जैसे गंभीर मुद्दे पर बजट का बहाना बनाना संवेदनहीनता की पराकाष्ठा है उर्वशी ने  सूबे के सभी जिलों में पर्याप्त संख्या में प्रदूषण जांच के आटोमेटिक उपकरण तत्काल लगाए जाने की मांग भी की है



स्मॉग के कारण लखनऊ समेत प्रदेश की जनता के स्वास्थ्य और जीवन के लिए आपात स्थिति  पैदा होने की बात कहते हुए उर्वशी का कहना है कि आने वाले समय में कोहरा बढ़ने के साथ-साथ यह समस्या और बढ़ेगी




सूचना का अधिकार बचाओ अभियान के अध्यक्ष और समाजसेवी तनवीर अहमद सिद्दीकी ने बताया कि उनके संगठन की संरक्षिका ने यह पत्र लिखकर राज्य सरकार से लखनऊ समेत पूरे सूबे की हवा को साफ करने और लगातार साफ बनाए रखने के लिए 24 घंटे के अन्दर सख्त कदम उठाते हुए उन्हें सूचित किये जाने की मांग की है तनवीर ने बताया कि यदि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश की जनता के जीवन के अधिकार के हनन के इस मामले में प्रभावी कार्यवाही नहीं की तो उनका संगठन इस मामले में  उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अनुतोष पाने की गुहार लगाएगा



उर्वशी शर्मा द्वारा लिखे पत्र की प्रति पाने के लिए इस वेबलिंक पर क्लिक करें http://upcpri.blogspot.in/2016/11/24.html




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